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एक कोमल पुष्प- सी मैं इस दुनिया में आऊंगी , आपक

एक कोमल पुष्प- सी  मैं  इस दुनिया में आऊंगी , 
आपके आंगन कि रंगोली बनकर और चिड़िया बनकर उड़ जाऊंगी ।
हां बटी हु मैं इतना कसुर ज़रूर है , आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ? 

दुनिया में आती हु लेकिन , 
थोड़ा ड़र भी लगता है मुझे ।
दुनिया में आते ही ,
सबकि नजरें मुझ पर लग जाती है 
क्या यही चीज मानवता दिखलाती है ? 
लड़के होते ही लोगों के आ जाता गुरुर है , 
आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ?

मैं इस दुनिया में आऊंगी , 
और लोगों को बतलाऊंगी ।
क्या बेटी होना पाप है ? 
क्या बेटी होना श्राप है ? 
आज कि बेटी हु मैं , यह मेरा गुरूर है , 
आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ?


पृदयूमन सिंह चौहान एक बेटी के लिए अनमोल कविता 
 by - pradyuman Singh chauhan
एक कोमल पुष्प- सी  मैं  इस दुनिया में आऊंगी , 
आपके आंगन कि रंगोली बनकर और चिड़िया बनकर उड़ जाऊंगी ।
हां बटी हु मैं इतना कसुर ज़रूर है , आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ? 

दुनिया में आती हु लेकिन , 
थोड़ा ड़र भी लगता है मुझे ।
दुनिया में आते ही ,
सबकि नजरें मुझ पर लग जाती है 
क्या यही चीज मानवता दिखलाती है ? 
लड़के होते ही लोगों के आ जाता गुरुर है , 
आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ?

मैं इस दुनिया में आऊंगी , 
और लोगों को बतलाऊंगी ।
क्या बेटी होना पाप है ? 
क्या बेटी होना श्राप है ? 
आज कि बेटी हु मैं , यह मेरा गुरूर है , 
आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ?


पृदयूमन सिंह चौहान एक बेटी के लिए अनमोल कविता 
 by - pradyuman Singh chauhan
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