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अब घर; घर नहीं रहे कच्चे मकान बन गये जहाँ अब हर इक

अब घर; घर नहीं रहे
कच्चे मकान बन गये
जहाँ अब हर इक घर में
रावण- विभीषण बस गये
खिंच गयीं दीवारें परायेपन की
माँ-बाप के भी बँटवारे हो गये
'मैं' ही सबकुछ 'तू' कुछ नहीं
रात-दिन के अब नारे बन गये
जहाँ गूँजते थे कहकहे कभी
ख़ामोशी के वहाँ पर्दे पड़ गये
जो थे आँखों के तारे किसी के
वो ही  अब अश्रुदाता बन गये
जो था घर की पहचान कभी
आदर-सम्मान;स्नेह विदा हो गये
सुकूँ मिलता था घरों में कभी
अब घर घुटन के निवास बन गये
अब घर;पहले से घर ही कहाँ  रहे
मिट्टी-गारे के कच्चे मकान बन गये..!

मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈🌈🌈






 घर अब घर नहीं रहे।
#घरनहींरहे #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
अब घर; घर नहीं रहे
कच्चे मकान बन गये
जहाँ अब हर इक घर में
रावण- विभीषण बस गये
खिंच गयीं दीवारें परायेपन की
माँ-बाप के भी बँटवारे हो गये
'मैं' ही सबकुछ 'तू' कुछ नहीं
रात-दिन के अब नारे बन गये
जहाँ गूँजते थे कहकहे कभी
ख़ामोशी के वहाँ पर्दे पड़ गये
जो थे आँखों के तारे किसी के
वो ही  अब अश्रुदाता बन गये
जो था घर की पहचान कभी
आदर-सम्मान;स्नेह विदा हो गये
सुकूँ मिलता था घरों में कभी
अब घर घुटन के निवास बन गये
अब घर;पहले से घर ही कहाँ  रहे
मिट्टी-गारे के कच्चे मकान बन गये..!

मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈🌈🌈






 घर अब घर नहीं रहे।
#घरनहींरहे #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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