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मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, और म

मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मैं जिद्दी बहुत हूं, अपने मन का ही करता हूं,
कभी मुझे डांटकर, खुद भी रो आया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
कभी मेरा मन न भी हो तो, जबरदस्त मुझे घाट पर ले जाया कर ना,
और फिर मैं किसी की नहीं सुनता, माना मैंने,
लेकिन तू कभी खुद के मन की भी  करवाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
मैं कभी मिलने के लिए हिचकिचाता हूं, की वो न-ना कह दे,
कभी तू हक से "मुझे मिलना है आज",कह कर बुलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
और फिर बेस तो सिर्फ, मुझे मां के हांथो से खाना ही पसंद है,
लेकिन कभी तू पास बैठ कर, "एक और कहकर" मुझे खिलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
और एक स्कूटी से 2 ही जाते हैं माना मैंने,
कभी तू जबरदस्त. ..हमारे साथ, तीसरा बन जाया कर ना, 
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मुझे उसकी याद आ रही है, कहता हूं मैं,
कभी तू मुझे गलियां दे कर, उसकी यादों से बहार लाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और फिर सब ठीक ही चल रहा है मेरी जिंदगी में,
कभी तू इसे अपनी जिंदगी के हिसाब से भी चलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना...!
---(GUSTAKHI MAAF)

©someone special 
मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मैं जिद्दी बहुत हूं, अपने मन का ही करता हूं,
कभी मुझे डांटकर, खुद भी रो आया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
कभी मेरा मन न भी हो तो, जबरदस्त मुझे घाट पर ले जाया कर ना,
और फिर मैं किसी की नहीं सुनता, माना मैंने,
लेकिन तू कभी खुद के मन की भी  करवाया कर ना,
मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मैं जिद्दी बहुत हूं, अपने मन का ही करता हूं,
कभी मुझे डांटकर, खुद भी रो आया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
कभी मेरा मन न भी हो तो, जबरदस्त मुझे घाट पर ले जाया कर ना,
और फिर मैं किसी की नहीं सुनता, माना मैंने,
लेकिन तू कभी खुद के मन की भी  करवाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
मैं कभी मिलने के लिए हिचकिचाता हूं, की वो न-ना कह दे,
कभी तू हक से "मुझे मिलना है आज",कह कर बुलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
और फिर बेस तो सिर्फ, मुझे मां के हांथो से खाना ही पसंद है,
लेकिन कभी तू पास बैठ कर, "एक और कहकर" मुझे खिलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, 
और एक स्कूटी से 2 ही जाते हैं माना मैंने,
कभी तू जबरदस्त. ..हमारे साथ, तीसरा बन जाया कर ना, 
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मुझे उसकी याद आ रही है, कहता हूं मैं,
कभी तू मुझे गलियां दे कर, उसकी यादों से बहार लाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और फिर सब ठीक ही चल रहा है मेरी जिंदगी में,
कभी तू इसे अपनी जिंदगी के हिसाब से भी चलाया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना...!
---(GUSTAKHI MAAF)

©someone special 
मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
और मैं जिद्दी बहुत हूं, अपने मन का ही करता हूं,
कभी मुझे डांटकर, खुद भी रो आया कर ना,
हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना,
कभी मेरा मन न भी हो तो, जबरदस्त मुझे घाट पर ले जाया कर ना,
और फिर मैं किसी की नहीं सुनता, माना मैंने,
लेकिन तू कभी खुद के मन की भी  करवाया कर ना,

मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, और मैं जिद्दी बहुत हूं, अपने मन का ही करता हूं, कभी मुझे डांटकर, खुद भी रो आया कर ना, हां मुझे अच्छा लगता है, कभी तू भी हक जताया कर ना, कभी मेरा मन न भी हो तो, जबरदस्त मुझे घाट पर ले जाया कर ना, और फिर मैं किसी की नहीं सुनता, माना मैंने, लेकिन तू कभी खुद के मन की भी करवाया कर ना, #Thoughts