तेरी राहों पे चल कर भी, तेरी गलियों से गुज़र कर भी तुम हमें हासिल न हुए, कुछ कदम के फैसले थे हमसे, की तेरी बचकानी शरारत थी, या तुम दूर जा रहे थे हमसे, की कोई तड़पाने की हरकत थी, क्यों छोड़ गए थे अकेला राहों में, क्यों तन्हाई का इल्म करवा रहे हो, तेरा वजूद ना होने का एहसास आहों में, क्यों वक़्त बे वक़्त जता रहे हो, मोहब्बत हम तुम्हारे काबिल न हुए, मगर काबिलियत बना रहा हूं, तुम मुझसे दूर ना हो जाओ अब कभी, बस इसी एयवज़ में मोहब्बत ए मेहबूब ख़ुदा से लिखवा रहा हूं।। एक उम्र गुज़ार देने के बावजूद इंसान यह नहीं कह सकता कि उसे मोहब्ब्त का सलीक़ा आ गया है। #क़ाबिलनहुए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #penofasoul