मनुष्य की लालच से धरती रो रही, हरी चादर उसकी खो रही। नदियों में जहर बहाया दिन-रात, दम घुट रहा, बुझ रही प्रभात। संभालो प्रकृति, मत करो विनाश, वरना मिट जाएगा मानव समाज। ©Avishek Dey #NatureLove #Save #Trees #Hindi best motivational thoughts