" मक़्ते या शेर-ए-आख़िर से पहले के दो अशआर (दसवाँ और ग्यारहवाँ शे'र ) में निरंतर ख़याल है , इसलिए वो दोनों शे'र क़ितआ में है ।"
#ghazal#क़ितअ_बंद_ग़ज़ल
मुहब्बत ठीक है पर देख भाई
कुछ अपनी नक़्श-ओ-पैकर देख भाई
محبّت ٹھیک ہے پر دیکھ بھائی
کچھ اپنی نقش_و_پیکر دیکھ بھائی #नज़र#BeatMusic#एक_ख़याल