" मै-मै हूं , तुम-तुम हो तो तुम गुलाब मै काटे थोड़ी हूं तुम्हारी ग़ज़ल तो ख्वाब जैसी थी जो एक पल में टूट गई, पर मेरी तो हकीकत थी थी इसलिए उभर गई। मै-मैं हूं , तुम-तुम हो तो तुम दवा मै जहर थोडी हूं तुम्हारी तो चाहत थी इसलिए बिखर गई पर मेरी तो मंज़िल थी इसलिए सवर गई। मै-मै हूं , तुम-तुम हो तुम पलट कर जवाब देते , तो मै सुनता थोड़ी हूं तुम्हारी तो आदत थी रूठने की इसलिए तुम दूर हो गए पर मेरी तो मुस्कुराने की आदत इसलिए करीब हो गए । मै-मैं हूं , तुम-तुम हो neha maury@ # mai mai hu , tum tum ho...