मैं वियोगी कवि नहीं हूं लिखता हूं जरूर पर किसी की वियोग में नहीं क्योंकि कभी कोई अपना बना ही नहीं जो मुझे धरा को भिगोंने पर विवश करें... मैं अपनी अंतरात्मा की सुनता हूं... मैं वियोगी कवि नहीं हूं..... मैं वियोगी कवि नहीं हूं...✍️✍️✍️✍️