ज़िन्दगी के कशिदे..... ज़िन्दगी कट रही थी मजे से, दखल देकर "किसी ने" दिल को "बेदखल" कर दिया... 'वक्त जल्द आएगा' उनके लिए भी जिसनें हमारी "मुहब्बत" में "खलल" कर दिया जिसने भी दिया दर्द दवा वो दे नहीं सकते मेरी मजबूरी समझो मैं दुआँ दे नहीं सकते ज़िन्दगी कट रही थी मजे से, दखल देकर "किसी ने" दिल को "बेदखल" कर दिया... 'वक्त के लाठी' के मार में आवाज नहीं होती 'हस्तियाँ' मिट जाती कभी "नाद" नहीं होती तुने लिखा हश्र मेरी "तकदीरों" का 'दर्द- भरा' फिर मैं चाहूँगा घर रहे तेरा खुशियों से हर-भरा ज़िन्दगी कट रही थी मजे से, दखल देकर "किसी ने" दिल को "बेदखल" कर दिया... ©अनुषी का पिटारा.. #ज़िन्दगी_के_कशिदे