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इस कहानी में लिखे गए नाम काल्पनिक हैं लेकिन कहानी

इस कहानी में लिखे गए नाम काल्पनिक हैं लेकिन कहानी असल घटनाओं से प्रेरित है।राज और रानी एक ही क्लास में पढ़ते थे,6 महीने पहले दोनों का एडमिशन हुआ था लेकिन दोनों एक दूसरे के बारे में बस इतना जानते थे की दोनों एक ही क्लास में हैं।राज क्लास में चुपचाप रहता था ज्यादा किसी से बात नहीं करता था केवल एक दो दोस्तों से थोड़ा बहुत बात करता था।रानी पढ़ाई के साथ साथ बोलचाल में भी तेज तर्रार थी।रानी जैसी सुन्दर लड़की उनके पुरे कॉलेज में नहीं थी वो सबसे मिलजुलकर रहती थी,मजाक करती थी।
रानी ने कई दिन एक बात पर गौर किया की हर कोई उससे बात करना चाहता है,कई लड़के तो चापलूसी भी करते हैं लेकिन राज कभी मुझसे ज्यादा बात क्यों नहीं करता।रानी यह सोच ही रही थी कि लंच का समय ख़त्म हो गया और सब के सब केमिस्ट्री लैब में पहुंच गए।रानी के दिमाग में अभी तक यही बात चल रही थी कि आखिर राज बाकि लोगों के जैसे उससे बात क्यों नहीं करता।लेकिन पढ़ाई के समय उसने यह बात दिमाग से निकालने का फैसला किया और नाम के अक्षरों के अनुसार यानि अल्फाबेटिकली बैच बनाये गए चार चार विद्यार्थियों के।
राज और रानी तो फिर एक ही बैच में आने ही थे।सब लोगों ने प्रैक्टिकल ध्यान से किया।राज और रानी के बैच का प्रैक्टिकल रिजल्ट सबसे अच्छा पाया गया रानी बहुत खुश थी। वो राज के सरल स्वाभाव और तेज दिमाग की वजह से अंदर ही अंदर पसंद करने लग गयी थी। फिर रानी ने राज से पूछ ही लिया तुम इतने उदास क्यों रहते हो? राज ने कहा नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है में शुरू से ही ऐसा हूँ।धीरे धीरे उनकी दोस्ती गहरी होती गयी,दोनों एक साथ लंच करते बाते करते और किताबे पढ़ते।क्लासें ख़त्म हुई और राज क्योंकि उस शहर का नहीं था तो उसने जाने की टिकट बुक करवा ली थी।
अब रानी जब घर पर रहती तो उसका मन नहीं लगता था क्योंकि कॉलेज की दिनचर्या में उसे समय का पता ही नहीं लगता था और अब उसके लिए दिन बहुत बड़ा हो चूका था क्योंकि उस समय मोबाइल फ़ोन भी नहीं थे।छुटियाँ ख़त्म हुई रानी खुशी खुशी कॉलेज गयी और सोचा कि आज राज को अपने प्यार का इजहार जरूर करेगी सभी लोग कॉलेज में थे लेकिन उसका सबसे अच्छा दोस्त राज नहीं आया था,रानी ने मन ही मन सोचा शायद राज एक दो दिन में आ जायेगा।तीन चार दिन बीत गए राज नहीं आया तो हमेशा हंसने वाली रानी कुछ उदास थी, उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग रहा था।
अचानक एक हफ्ते बाद सभी को हॉल में इक्कठा होने के लिए बोला गया,बाकि कक्षाओं के भी विद्यार्थी थे।उसके बाद प्राचार्य आये और उन्होंने भरे मन से बोलना शुरू किया की हमारे कॉलेज का एक होनहार विद्यार्थी राज हमारे बीच नहीं रहा,कई दिन पहले उसकी बाइक को किसी शराबी कार के ड्राइवर ने टक्कर मार दी थी और वो हॉस्पिटल में भर्ती था और आज वो हमें छोड़कर चला गया।सभी विद्यार्थी उसकी आत्मा की शांति के लिए कुछ समय का मौन रखेंगे और ईश्वर से उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे।यह सुनकर रानी की आँखों से पानी की धारा बहने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था।अगले एक हफ्ते तक रानी की तबीयत ख़राब रही।धीरे धीरे जख्म भरते चले गए।
अब रानी की शादी हो चुकी है और एक बेटा भी है जिसका नाम उसने और उसके पति ने राज ही रखा है।कई बार जब रानी को राज की याद आती है तो वो सोचती है काश मैंने उस दिन राज से बात ही ना की होती या मैं कॉलेज ही ना गयी होती।रानी ने अपने बड़े बिजनेसमैन पति को पूरी कहानी बताई। वो दोनों पति पत्नी अब लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक करने के लिए कैंप लगाते हैं और शराब पीकर गाड़ी ना चलने की सीख देतें हैं।
इस कहानी में लिखे गए नाम काल्पनिक हैं लेकिन कहानी असल घटनाओं से प्रेरित है।राज और रानी एक ही क्लास में पढ़ते थे,6 महीने पहले दोनों का एडमिशन हुआ था लेकिन दोनों एक दूसरे के बारे में बस इतना जानते थे की दोनों एक ही क्लास में हैं।राज क्लास में चुपचाप रहता था ज्यादा किसी से बात नहीं करता था केवल एक दो दोस्तों से थोड़ा बहुत बात करता था।रानी पढ़ाई के साथ साथ बोलचाल में भी तेज तर्रार थी।रानी जैसी सुन्दर लड़की उनके पुरे कॉलेज में नहीं थी वो सबसे मिलजुलकर रहती थी,मजाक करती थी।
रानी ने कई दिन एक बात पर गौर किया की हर कोई उससे बात करना चाहता है,कई लड़के तो चापलूसी भी करते हैं लेकिन राज कभी मुझसे ज्यादा बात क्यों नहीं करता।रानी यह सोच ही रही थी कि लंच का समय ख़त्म हो गया और सब के सब केमिस्ट्री लैब में पहुंच गए।रानी के दिमाग में अभी तक यही बात चल रही थी कि आखिर राज बाकि लोगों के जैसे उससे बात क्यों नहीं करता।लेकिन पढ़ाई के समय उसने यह बात दिमाग से निकालने का फैसला किया और नाम के अक्षरों के अनुसार यानि अल्फाबेटिकली बैच बनाये गए चार चार विद्यार्थियों के।
राज और रानी तो फिर एक ही बैच में आने ही थे।सब लोगों ने प्रैक्टिकल ध्यान से किया।राज और रानी के बैच का प्रैक्टिकल रिजल्ट सबसे अच्छा पाया गया रानी बहुत खुश थी। वो राज के सरल स्वाभाव और तेज दिमाग की वजह से अंदर ही अंदर पसंद करने लग गयी थी। फिर रानी ने राज से पूछ ही लिया तुम इतने उदास क्यों रहते हो? राज ने कहा नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है में शुरू से ही ऐसा हूँ।धीरे धीरे उनकी दोस्ती गहरी होती गयी,दोनों एक साथ लंच करते बाते करते और किताबे पढ़ते।क्लासें ख़त्म हुई और राज क्योंकि उस शहर का नहीं था तो उसने जाने की टिकट बुक करवा ली थी।
अब रानी जब घर पर रहती तो उसका मन नहीं लगता था क्योंकि कॉलेज की दिनचर्या में उसे समय का पता ही नहीं लगता था और अब उसके लिए दिन बहुत बड़ा हो चूका था क्योंकि उस समय मोबाइल फ़ोन भी नहीं थे।छुटियाँ ख़त्म हुई रानी खुशी खुशी कॉलेज गयी और सोचा कि आज राज को अपने प्यार का इजहार जरूर करेगी सभी लोग कॉलेज में थे लेकिन उसका सबसे अच्छा दोस्त राज नहीं आया था,रानी ने मन ही मन सोचा शायद राज एक दो दिन में आ जायेगा।तीन चार दिन बीत गए राज नहीं आया तो हमेशा हंसने वाली रानी कुछ उदास थी, उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग रहा था।
अचानक एक हफ्ते बाद सभी को हॉल में इक्कठा होने के लिए बोला गया,बाकि कक्षाओं के भी विद्यार्थी थे।उसके बाद प्राचार्य आये और उन्होंने भरे मन से बोलना शुरू किया की हमारे कॉलेज का एक होनहार विद्यार्थी राज हमारे बीच नहीं रहा,कई दिन पहले उसकी बाइक को किसी शराबी कार के ड्राइवर ने टक्कर मार दी थी और वो हॉस्पिटल में भर्ती था और आज वो हमें छोड़कर चला गया।सभी विद्यार्थी उसकी आत्मा की शांति के लिए कुछ समय का मौन रखेंगे और ईश्वर से उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे।यह सुनकर रानी की आँखों से पानी की धारा बहने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था।अगले एक हफ्ते तक रानी की तबीयत ख़राब रही।धीरे धीरे जख्म भरते चले गए।
अब रानी की शादी हो चुकी है और एक बेटा भी है जिसका नाम उसने और उसके पति ने राज ही रखा है।कई बार जब रानी को राज की याद आती है तो वो सोचती है काश मैंने उस दिन राज से बात ही ना की होती या मैं कॉलेज ही ना गयी होती।रानी ने अपने बड़े बिजनेसमैन पति को पूरी कहानी बताई। वो दोनों पति पत्नी अब लोगों को सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक करने के लिए कैंप लगाते हैं और शराब पीकर गाड़ी ना चलने की सीख देतें हैं।