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...... ये हमारा कोलेज का सेकंड ईयर था, फर्स्ट ईयर

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ये हमारा कोलेज का सेकंड ईयर था, फर्स्ट ईयर हमने सिर्फ एक -दुसरे को छुप -छुप कर देख और बीच -बीच में गलती से टकरा कर बिता दिया था,!

   हाँ मुझे अच्छे से याद है फर्स्ट टर्म के बाद हम साथ बैठे थे,.. इकोनॉमिक्स की क्लास में प्रोफसर के कहने पर जब डिमांड एंड सप्लाई का लेक्चर क्लास को  मैंने दिया था, उसके बहुत से क्रिटिक्स लेने के बाद हमें साथ बैठने लिए कहा गया था सुलह कर लेने के लिए, कि हम एक -दुसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं,! 

    सच कहूँ तो धड़कन थोड़ी बढ़ जाती थी, वो जैसे ही साथ बैठने आता था, काला चश्मा उसका उसका छोटी -छोटी आँखे, वो अक्सर वाइट शर्ट ही पहना करता था उसपर आगे के फोल्डड बाजु उसके कलाई पर बंधी सोनाटा घड़ी और अलग ही महक उसकी,...

     वो already class का volunteer student था, और मेरा हो गया था उसपर जोरों का क्रश, पता नहीं क्यूँ मेरी बोलती ही बंद हो जाती थी उसके सामने कभी बुक के लिए हाथ बढ़ाते थे तो दोनों के हाथ गलती से मिल जाते थे, कॉपी पेन नीचे गिरता तो सर टकरा जाते थे, और अच्छे से बैठना आता ही नहीं था जैसे मुझे मेरी हालत कुछ ऐसी हो जाती थी,...वैसे मैं भी लड़की सीधी - साधी थी ऐसा नहीं है मैंने कभी लड़कों से बात नहीं की,. पर घर में किसी को पसंद न था की उनकी लड़कियां किसी से बात करें ,
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ये हमारा कोलेज का सेकंड ईयर था, फर्स्ट ईयर हमने सिर्फ एक -दुसरे को छुप -छुप कर देख और बीच -बीच में गलती से टकरा कर बिता दिया था,!

   हाँ मुझे अच्छे से याद है फर्स्ट टर्म के बाद हम साथ बैठे थे,.. इकोनॉमिक्स की क्लास में प्रोफसर के कहने पर जब डिमांड एंड सप्लाई का लेक्चर क्लास को  मैंने दिया था, उसके बहुत से क्रिटिक्स लेने के बाद हमें साथ बैठने लिए कहा गया था सुलह कर लेने के लिए, कि हम एक -दुसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं,! 

    सच कहूँ तो धड़कन थोड़ी बढ़ जाती थी, वो जैसे ही साथ बैठने आता था, काला चश्मा उसका उसका छोटी -छोटी आँखे, वो अक्सर वाइट शर्ट ही पहना करता था उसपर आगे के फोल्डड बाजु उसके कलाई पर बंधी सोनाटा घड़ी और अलग ही महक उसकी,...

     वो already class का volunteer student था, और मेरा हो गया था उसपर जोरों का क्रश, पता नहीं क्यूँ मेरी बोलती ही बंद हो जाती थी उसके सामने कभी बुक के लिए हाथ बढ़ाते थे तो दोनों के हाथ गलती से मिल जाते थे, कॉपी पेन नीचे गिरता तो सर टकरा जाते थे, और अच्छे से बैठना आता ही नहीं था जैसे मुझे मेरी हालत कुछ ऐसी हो जाती थी,...वैसे मैं भी लड़की सीधी - साधी थी ऐसा नहीं है मैंने कभी लड़कों से बात नहीं की,. पर घर में किसी को पसंद न था की उनकी लड़कियां किसी से बात करें ,
alpanabhardwaj6740

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