कहते हैं इंसान में इंसानियत और इंसान में परोपकार की भावना ही , दुनिया में भगवान के होने का संकेत है । मै ढूढता हूं उस भगवान के अंश को हर - एक इंसान में। । हर बार लगती हैं निराशा ही मेरे हाथ । लगता हैं, कत्ल कर कही फेंक दिया दूर इंसानिय को। यहां हर कोई सोचता अपने- अपने स्वार्थ की, परवाह नहीं किसीको भूखे मरते इंसान की , यहां बस एक ही धर्म बाकी है, अब।। कोई मरता है तो मर जाए , कोई लुटता है तो लुट जाए , किसीकी जाती है इज्ज़त तो चली जाए । कैसे भी हो हम पर आंच ना आए।। अरे धिक्कार है ऎसे मानव जीवन पर, जो स्वार्थ का पुजारी होकर रह जाए । उठो मरे देश वीर नौजवानों, स्वार्थ छोड़ तुम करो वो कार्य , आए जो तेरे देश के काम ।। स्वार्थ #कविता #motivate #motivation #lines #meriline #indianpoetry