White सिविल या दीवानी मामले पर कानून :- * सिविल या दीवानी मामलों में शिकायतकर्ता का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति से अपना दावा हासिल करना होता है । * फैसला सुनाने के बाद अदालत अंत में आज्ञप्ति या डिक्री जारी करती है, जिसमें अदालत के आदेश तथा संबद्ध पक्षों की पूर्ति या रिलीफ का ब्यौरा होता है । * अर्जीदावा या आवेदन में सभी दावे शामिल किए जाने चाहिए, क्योंकि एक ही उद्देश्य से संबंधित ऐसे नए दावों की पूर्ति के लिए व्यक्ति दूसरी बार आवेदन नहीं कर सकता है । जिनके बारे में पहले आवेदन के समय दावा नहीं किया गया हो। * मामले से संबंधित पक्षों को सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना चाहिए । ऐसा नहीं होने पर अदालत मामले को रद्द कर सकती है या डिक्री भी दे सकती है । अगर अनुपस्थिति के वाजिब कारण होंगे तो दोबारा सुनवाई भी हो सकती है। * मामले से संबंधित पक्ष कोई समझौता कर सकते हैं और अदालत से इसके लिए डिक्री जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं । * पेश किए गये तथ्यों के आधार पर दोनों पक्ष की सुनवाई होती है , जिस पर अदालत फैसला सुनाती है । ©Indian Kanoon In Hindi सिविल या दीवानी मामले पर कानून :-