रातों को याद कर मैं तुमसे घंटो लड़ा करती थी ऑनलाइन चैट की तो छोड़ो विडियो कॉल किया करती थी हा माना तुम्हें याद नहीं होंगे ये घंटे क्योंकि याद तो मैं किया करती थी तुम तो उसे मेरा लड़ना बताकर मुझे रुला दिया करते थे समझते अगर तो मैं ही तुम्हें तुम्हारे माँ बाप से ज्यादा प्यार किया करती थीं हा तुम्हे लगता है मैं तुमपे शक़ किया करती हूं तुमसे बहस किया करती हू वो तुम्हारे लिए नही तुम्हारे पीछे के साये को दूर किया करती थीं माना प्यार प्यार में फ़र्क हुआ करता हैं बशर्ते तुमनें बिन बताएं ही प्यार को क्या समझ रखा है हा तुम कहते हो ना एक अलग अंदाज में कि तुम लगती कितनी मासूम हो लेकिन हो नहीं सच कहूँ तो वो झलक ही मेरे दिल को बयां किया करती हैं समझ लेते उसको तो दिल की मासूमियत तुम्हे बतानी नहीं होतीं ©aru❤️ #बेगुनाह #बेगानापन #adure_pyar_ki_dastan #pyar_ke_alfaz #Smile