कितना कुछ है सीखने को सीखना आरंभ कर, वाणी में मिठास लाना सीखिए, स्वतः स्वभाव में सभ्यता का शक्कर मिलाना सीखिए, संसार सदैव व्यापत है पाखंडियों और मिथ्या जनों से, सांसारिक धारा के विपरीत जा, पहचान बनाना सीखिए, जुड़िए पारंपरिक पद्धतियों से, अपने मूल भाव विचारों से, स्वयं गर्वांवित होकर संस्कृति का परचम लहराना सीखिए, अहम् के तमस की काली परत जम गई है ज्ञान चक्षुओं पर, पथ प्रदर्शन के लिए, मन में विद्वता की लौ जलाना सीखिए, सीख रहा है “साकेत" भी जड़ों को तलाश उनसे पुनः जुड़ना, आप भी माधुर्य स्वभाव से अपनी विशिष्टता दर्शाना सीखिए। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla कितना कुछ है सीखने को..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .