हमने दिल को लाख मनाया। पर तनहा दिल समझ ना पाया। अंतरमन का अँधियारा भी छटेगा। कभी तो सूरज निकल पड़ेगा। मावस की रात रहेगी कब तक। फिर से चाँद भी रौशन होगा। कभी तो ये पतझर बीतेगा। गुलशन फिर से मेहक उठेगा। कोई नयी फिर राह तो होगी। कभी तो मशला हल होगा। मंजिल की चाह में जो भी निकला। वो तूफाँ से कब घबराया। हमने दिल को लाख मनाया। पर तनहा दिल............. - क्रांति #तनहा #दिल #क्रांति