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विश्व आदिवासी दिवस व भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर

विश्व आदिवासी दिवस व भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगाठ पर एक लेख-

भारत की आजा़दी के इतिहास का संबंध भारत के प्रत्येक क्षेत्र से है।
अंग्रेजों ने न केवल बड़े क्षेत्रों पर अपना शासन जमाने का प्रयास किया,बल्कि हर एक प्रदेश पर अपना सत्ता जमाने की नींव डाली।गांधी जी के जीवन के सुप्रसिद्ध आंदोलन 'भारत छोड़ो आंदोलन'(1942)का अध्ययन तो आप सभी ने किया होगा।प्रसिद्ध क्रांतिकारी 'मंगल पांडे'
की अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह की गाथा कौन नहीं जानता।
लेकिन समुचे भारत के संघर्ष की कहानी में हम कहीं न कहीं आदिवासी जन-जीवन के महत्व और अंग्रेजों द्वारा वर्षों तक उन पर कि गई प्रताड़ना का उल्लेख करना भूल जाते हैं। 
सिदु और कान्हू नामक दो भारतीय आदिवासियों ने आदिवासी समाज में गांधी जी के प्रसिद्ध नारे 'करो या मरो' को जीवित बनाए रखा और कई हजा़रों ग्रामवासियों को एकत्रित कर अंग्रेजों के विरूद्ध अपने अधिकारों के लिए लडा़ई लड़ी।अंग्रेजों की ताक़त जब आदिवासियों के सामने फीकी पड़ती गई,तो उनसे रहा न गया,और उन्होनें सिदू और कान्हू को सरेआम पेड़ पर फांसी पर लटका दिया।इस घटना के बाद भी आदिवासियों का विद्रोह जारी रहा और एक दिन अपने विजय लक्ष्य को पूर्ण करने में सफल रहे।दोनों ही विशाल आंदोलन के सफलता के उपलक्ष्य में हर साल 8अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन और 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। written by me....
विश्व आदिवासी दिवस व भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगाठ पर एक लेख-

भारत की आजा़दी के इतिहास का संबंध भारत के प्रत्येक क्षेत्र से है।
अंग्रेजों ने न केवल बड़े क्षेत्रों पर अपना शासन जमाने का प्रयास किया,बल्कि हर एक प्रदेश पर अपना सत्ता जमाने की नींव डाली।गांधी जी के जीवन के सुप्रसिद्ध आंदोलन 'भारत छोड़ो आंदोलन'(1942)का अध्ययन तो आप सभी ने किया होगा।प्रसिद्ध क्रांतिकारी 'मंगल पांडे'
की अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह की गाथा कौन नहीं जानता।
लेकिन समुचे भारत के संघर्ष की कहानी में हम कहीं न कहीं आदिवासी जन-जीवन के महत्व और अंग्रेजों द्वारा वर्षों तक उन पर कि गई प्रताड़ना का उल्लेख करना भूल जाते हैं। 
सिदु और कान्हू नामक दो भारतीय आदिवासियों ने आदिवासी समाज में गांधी जी के प्रसिद्ध नारे 'करो या मरो' को जीवित बनाए रखा और कई हजा़रों ग्रामवासियों को एकत्रित कर अंग्रेजों के विरूद्ध अपने अधिकारों के लिए लडा़ई लड़ी।अंग्रेजों की ताक़त जब आदिवासियों के सामने फीकी पड़ती गई,तो उनसे रहा न गया,और उन्होनें सिदू और कान्हू को सरेआम पेड़ पर फांसी पर लटका दिया।इस घटना के बाद भी आदिवासियों का विद्रोह जारी रहा और एक दिन अपने विजय लक्ष्य को पूर्ण करने में सफल रहे।दोनों ही विशाल आंदोलन के सफलता के उपलक्ष्य में हर साल 8अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन और 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। written by me....
mampisen3925

Shilpi

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