कल राजा बनने वाले को आज वनवास जाना था, खुद से लिखा नाट्य खुद को निभाना था | वचन ही तो था, तोड देते... पर कर्तव्य का अर्थ सबको बताना था | इतने साल वन मे अपनो से दूर रहना था, अज्ञात मोड पर अंजानो का संहार करना था | कर्म ही तो था, छोड देते... पर धर्म का अर्थ सबको सिखाना था | रावण का दहन तो बस एक बहाना था, वैकुंठ मे रचा हुआ खेल खेलना था | अहंकार ही तो था, मुह मोड लेते... पर सम्मान का अर्थ सबको दिखाना था | ©Tejz0560 #Dussehra2024 #Ram #ravan #poem #Dussehra #thought #Shayari हिंदी कविता