ये कैसी आज़ादी है , हर तरफ बर्बादी है , कही दंगे तो कही फसाद है , कही जात पात तो कही , छुवा छूत की बीमारी है | हर जगह नफरत ही नफरत , तो कही दहशत के अंगारे है क्या नेता क्या वर्दी वाले , सभी इसके भागीदारी है . {mahi} आजादी के लिए खुद लड़ना पड़ता कभी दुसरो से कभी खुद से।।।😊👍