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Alone उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या? दाग़ ही देंग

Alone  उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या?
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या?

मेरी हर बात बेअसर ही रही।
नक़्स1 है कुछ मिरे बयान में क्या?

मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं।
यही होता है ख़ानदान में क्या?

अपनी महरूमियां छिपाते हैं।
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या?

ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से।
आ गया था मिरे गुमान में क्या?

शाम ही से दुकाने-दीद है बन्द।
नहीं नुक़्सान तक दुकान में क्या?

ऐ मिरे सुबहो-शामे-दिल की शफ़क़।
तू नहाती है अब भी बान में क्या?

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में।
आबले पड़ गये ज़बान में क्या? jaun saahab
Alone  उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या?
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या?

मेरी हर बात बेअसर ही रही।
नक़्स1 है कुछ मिरे बयान में क्या?

मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं।
यही होता है ख़ानदान में क्या?

अपनी महरूमियां छिपाते हैं।
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या?

ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से।
आ गया था मिरे गुमान में क्या?

शाम ही से दुकाने-दीद है बन्द।
नहीं नुक़्सान तक दुकान में क्या?

ऐ मिरे सुबहो-शामे-दिल की शफ़क़।
तू नहाती है अब भी बान में क्या?

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में।
आबले पड़ गये ज़बान में क्या? jaun saahab