जाने ये रास्ता ले जाता है कहां..पता नहीं, जाने रोज़ कौन आता है यहां.. पता नहीं, ये रास्ता मुझे जन्नत का लगता है भला , जीते जी कोई आता है यहां.. पता नहीं, जब से इश्क़ हुआ है मेरे नादा दिल को, जाने क्यू आता जाता है यहां..पता नहीं, ये सुर्ख सुबह -सर्द शाम -रात अंधियारी, क्या सब कुछ रहता है यहां.. पता नहीं, हंसता बादल,मुस्कुराते पेड,इसके अलावा, किसे-कुछ याद आता है यहां.. पता नहीं, इससे पहले जी भरके रोयी थी मेरी आंखें, अब आन्सू कब आता है यहां.. पता नहीं, ©sheel shahab #rohitsurya #ravinandantiwari #alkatandon #shadabkhan #internethockey #adventure