पर्वत कितने ऊंचे कितने गहरे होते है कुछ मत पूछो प्यार में कितने पहरे होते है इश्क़ में न जाने क्या हो जाता है रब ही जाने तोड़के सारी दीवारें मिल जाते है दीवाने सो तो है