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कमबख़्त आदर्शवादी गिद्धों की बन आई है, हर कोई आँख

कमबख़्त आदर्शवादी गिद्धों की बन आई है, हर कोई आँख कान नोंच रहा है। नंगे फ़ैशन परोस रहे हैं, बेसुरे राग अलाप रहे हैं, लोग इधर का उधर चिपका रहे हैं । धर्म शब्दों में सिमट गया है, कर्म सेटिंग पर निर्भर है। एकता कपूर का सोप ओपरा बन गया है समाज। जंगल में साँस घोटने को जीपें, कैन्टर दौड़ रहे हैं, बेतहाशा जंगल काटे जा रहे हैं। शहर इंच दर इंच सिकुड़ रहा है, अब आसमान की ओर बढ़ रहा है। हर कोई या तो बिक रहा है या बेच रहा है घर, रिश्ते, दोस्ती बाज़ार के भाव के अनुसार हैं। बच्चा भले ही गिर जाए, चोट लग जाए, मोबाईल नहीं गिरना चाहिए सभी इस राक्षस को हाथ में रखे घूम रहे हैं , सिरहाने रखकर सो रहे हैं। हम किधर जा रहे हैं पता ही नहीं, कहाँ पहुंचेंगे ये भी तय नहीं।  #irony
कमबख़्त आदर्शवादी गिद्धों की बन आई है, हर कोई आँख कान नोंच रहा है। नंगे फ़ैशन परोस रहे हैं, बेसुरे राग अलाप रहे हैं, लोग इधर का उधर चिपका रहे हैं । धर्म शब्दों में सिमट गया है, कर्म सेटिंग पर निर्भर है। एकता कपूर का सोप ओपरा बन गया है समाज। जंगल में साँस घोटने को जीपें, कैन्टर दौड़ रहे हैं, बेतहाशा जंगल काटे जा रहे हैं। शहर इंच दर इंच सिकुड़ रहा है, अब आसमान की ओर बढ़ रहा है। हर कोई या तो बिक रहा है या बेच रहा है घर, रिश्ते, दोस्ती बाज़ार के भाव के अनुसार हैं। बच्चा भले ही गिर जाए, चोट लग जाए, मोबाईल नहीं गिरना चाहिए सभी इस राक्षस को हाथ में रखे घूम रहे हैं , सिरहाने रखकर सो रहे हैं। हम किधर जा रहे हैं पता ही नहीं, कहाँ पहुंचेंगे ये भी तय नहीं।  #irony