तेरे जैसा यार कहाँ, बचपन के तेरे जैसा यार कहाँ ! बगैर मतलब का प्यार कहाँ ! लोग जरूरी हो तो याद करते है । वरना किसको याद है कहाँ ! अब बिना स्वार्थ का दोस्त कहाँ ! बचपन के तेरे जैसा यार कहाँ । दो चार बार तेरे जैसा ढूँढा यहाँ । पर तुम्हारे जैसा मिला कहाँ ! बेवजह कोई इंतज़ार करता कहाँ ! एक दुसरे के बीच में जो दीवार बनाये, वैसे लोगों से अब कोई लड़ता कहाँ ! बचपन के तेरे जैसा यार कहाँ ! Bachpan ke tere jaisa yaar kahan ! Bagair matalab ka pyar kahan ! Log jaruri ho to yaad karte hai. Varana kisko yaad hai kahan ! Ab bina svarth ka dost kahan ! Bachpan ke tere jaisa yaar kahan ! Do-char baar tere jaisa dhundha yahan.