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तुम्हारी कायनात में कितनी धांधली है, धुंधली चांदनी

तुम्हारी कायनात में कितनी धांधली है,
धुंधली चांदनी बस अमावस का कलेवा।
अमावस फिर वहीं सूरज की रोशनी जो ले निगले,
चंद लम्हों में दे फिरा, चांद वहीं निपटता,
खूब है दुर्बल बराबर माह भर में,
सबल बिल्कुल सबल है,
निर्बल बस अबल है।

©BANDHETIYA OFFICIAL धांधली कहां नहीं है ?
#Galaxy
तुम्हारी कायनात में कितनी धांधली है,
धुंधली चांदनी बस अमावस का कलेवा।
अमावस फिर वहीं सूरज की रोशनी जो ले निगले,
चंद लम्हों में दे फिरा, चांद वहीं निपटता,
खूब है दुर्बल बराबर माह भर में,
सबल बिल्कुल सबल है,
निर्बल बस अबल है।

©BANDHETIYA OFFICIAL धांधली कहां नहीं है ?
#Galaxy

धांधली कहां नहीं है ? #Galaxy #ज़िन्दगी