तुम रात की चाँदनी हो,मैं सुबह की पहली किरन तारे हैं तेरे आशिक,मैं मद्धम बहती पवन आँखें बद कर लो या दूजा करो जतन मिल जाओ मुझसे ऐसे जैसे सर्दी में लगे अगन हर शय है तेरी उजली,मीठी है तेरी तपन ढूँढ़़ता हूँ तुझमें ख़ुद को,तुम कस्तूरी,मैं हिरन रख लूँ तुझे छुपाके,तुम बारिश की पहली छुअन आईने से तेरी आँखें,शीशे सा तेरा बदन झूठे हैं सारे वादे,झूठी है हर कसम शायरी सी तेरी बातें,तुम फुर्सत से लिखी नज़्म करवटें आहिस्ता से पूछती हैं,कैसी है ये चुभन तेरा तसव्वुर है बहुत गहरा,तुम ज़िदंगी का हो जश्न... © trehan abhishek ♥️ Challenge-653 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।