इक दोस्त मेरा तुझमें बसता है उसे अपने अंदर रहने देना तन्हा गुमसुम सा रहता है कुछ तुमसे कहे तो कहने देना उसने मन पर पत्थर रक्खा है लेकिन मोम सा मन है उसका कभी जो पिघले आँखों में तुम्हारी जी भर उसको बहने देना मशगूल रहो तुम दुनियादारी में हाँ, ये भी काम ज़रूरी है पर अपनी दुनियादारी में तुम उसको दुःख मत सहने देना मैं भी अब बेपरवाह बहुत हूँ भटका - भटका रहता हूँ भटकी सी कोई आह मिले तो अपने दिल में रहने देना दुनिया के खेल - तमाशे सारे चलते रहते हैं इनका क्या सारी दुनिया ख़ुद में भर लेना इक खाली कोना रहने देना #बेपरवाह