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तकरार करना अब आसान हो गया है शब्दों से वार करना सम

तकरार करना अब आसान हो गया है
शब्दों से वार करना सम्मान हो गया है
बड़े बुजुर्गों की बात को मानता ही कौन
गुस्सा तो जैसे मानों आसमान हो गया है
तकरार करना अब.......
असत्य का डंका बज रहा चारो तरफ
लब्ज़ो की अभिव्यक्ति फ़रमान हो गया है
अपशब्दों की भाषा चुभाता है खंजर 
संकुचित मानसिकता तो शान हो गया है
तकरार करना अब.......
लड़ना गर चाहो तो बहाने बहुत मिलेंगे
सात्विक भावनाओं का शाम हो गया है
जीवन गुज़र जाता "सूर्य" अपना बनाने में
टूटने की बात बे लगाम आम हो गया है
तकरार करना अब........

©R K Mishra " सूर्य "
  #तकरार  Utkrisht Kalakaari भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Sethi Ji Anshu writer Mili Saha