जब जीने की पिपासा मर जाती है तो हर दरया सूख जाता है और उनकी तह से उड़ी रेत सुलग कर सीने को दावनाल बना देती है वक़्त दलदल बन जाता है और सरक सरक कर मुँह चिढ़ाता है कंधों पर खड़ी दुनिया मरने नहीं देती साँसों पर चढ़ा अस्तर जीने नहीं देता रिहाई रकीब बन जाती है और कैद के हर कोठरी पर ज़िन्दग़ी लिखा होता है अब ख़ामोशी को कहने दो @ रक़ाबत ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #अब_ख़ामोशी_को_कहने_दो #Anhoni