बचपन की लत पुरानी फिर से लगी है बस्ते में अब किताबे रहने लगी है बिन तुम्हारे गुज़ारा मुमकिन नहीं है अब मुझसे वो दिवानी कहने लगी है बूढ़ी आँखें करीबी कोई नही है वो तन्हा ही बिमारी सहने लगी है बदले दिल के न दिल तुमने भी दिया है तुम्हे भी ये उधारी किस से लगी है पागलपन का सबब मुझसे पूछते हो देखो तस्वीर इक सिरहाने लगी है अब खामोशी फकीरा तुमसे कहेगा ये बस दिल की लगी है दिल से लगी है एक ग़ज़ल पेश है🙏 बह्र - 22 22 1 22 22 122 #yqbaba #yqdidi #ghazalgo_fakeera