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गली के नुक्कड़ पे चाय पिता हूँ, उस दिलकश लड़की के लि

गली के नुक्कड़ पे चाय पिता हूँ,
उस दिलकश लड़की के लिए जेब में गुलाब रखता हूँ।
उसकी आँखों में नदी बढ़ती है,
बाढ़ ना आये इसलिए काजल लगाये रेहती है।
बाते उसकी कश्मीर सी सुहावनी लगती है
इसलिए कांधों पे पशिमनी शाल ओढ़े रहती है।
उसकी एक झलक के लिए साइकल से लंबी दूरी तय करता हूँ,
लबों पे है बहुत कुछ पर कहने से डरता हूँ
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गली के नुक्कड़ पे चाय पिता हूँ,
उस दिलकश लड़की के लिए जेब में गुलाब रखता हूँ।
उसकी आँखों में नदी बढ़ती है,
बाढ़ ना आये इसलिए काजल लगाये रेहती है।
बाते उसकी कश्मीर सी सुहावनी लगती है
इसलिए कांधों पे पशिमनी शाल ओढ़े रहती है।
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लबों पे है बहुत कुछ पर कहने से डरता हूँ
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rahulverma5967

RAHUL VERMA

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