White कल मुद्दतों बाद खुद से मिलने चला आया मैं शाम का झुटपुटा था करने को कुछ खास नहीं था और वैसे भी एक अरसे से इधर गया भी नहीं था देखा,सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया है कहीं ख्याल मकड़ी के जाले की तरह मन में लटके हैं तो कहीं ख्वाब रेजा रेजा होकर फैले हैं एक भीड़ थी आधी अधूरी ख्वाहिशों की एक ढेर भर कर सवाल थे जिन का जवाब ढूंढना था कुछ गांठे थीं सोचों की मन पूरा सिलवटों से भरा था उफ्फ !! इन सब को सही से करना कुछ समेटना, कुछ सुलझाना कितना वक्त चाहिए नहीं नहीं इतना वक्त नहीं है उन्हीं कदमों से वापिस मुड़ा , दरवाज़ा बंद कर दिया बिल्कुल उसी तरह फिर से फिर कभी आऊंगा... ©MZS #sad_quotes शेरो शायरी शायरी attitude शायरी शायरी हिंदी शायरी लव