White खुले में खेला है मैने खेल जिंदगी का हंसने के मौसम में सीखा था रोने का सलीका . महज़ सपने ही नहीं,आंसू भी था मेरे आंख का हिस्सा कौन नहीं है जिसने बनाया न मुझ पर किस्सा . लब रहे खामोश ज़हन करता रहा शोर बैठा नहीं तन , गति रही फितरत ,कदम का चलता रहा रास्ता. ©gudiya #Tulips