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एक असंतुलित "तराजू" !! जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'

एक असंतुलित "तराजू" !!
जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'...
दूसरे पर 'शांति'...
पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे...
इंसानो की चीख ..
खून से लथपथ बदन..
मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग..
सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे..
उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे..
एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे...
हमारे विनाश पे...
एक पड़ले पर शांति !!
जिसके प्रकृति दत्त उपहार...
बाप के कंधे पर बैठे..
मासूम चेहरों की मुस्कान..
हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन
एक सुहागन का सिंदूर...
विधवा माँ के गोदी में हँसता ..
उसके..बच्चे का सर...
शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है...
 बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का..
युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है...
बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का...
कौन पड़ला भारी....?
हजार लोग हजार मत...
आपका भी मत होगा पुर्वत..
घिसी-पीटि भाषा मे..
दानव के साथ दानव...
मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... 
परंतु क्या यह...
सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...???
तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..
एक असंतुलित "तराजू" !!
जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'...
दूसरे पर 'शांति'...
पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे...
इंसानो की चीख ..
खून से लथपथ बदन..
मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग..
सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे..
उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे..
एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे...
हमारे विनाश पे...
एक पड़ले पर शांति !!
जिसके प्रकृति दत्त उपहार...
बाप के कंधे पर बैठे..
मासूम चेहरों की मुस्कान..
हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन
एक सुहागन का सिंदूर...
विधवा माँ के गोदी में हँसता ..
उसके..बच्चे का सर...
शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है...
 बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का..
युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है...
बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का...
कौन पड़ला भारी....?
हजार लोग हजार मत...
आपका भी मत होगा पुर्वत..
घिसी-पीटि भाषा मे..
दानव के साथ दानव...
मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... 
परंतु क्या यह...
सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...???
तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..

युद्ध और बुद्ध..