फूल ख्वाहिश का इक तो खिला सांवरे, थोड़ी जगह चरण में अपने दिला सांवरे, झूठी दुनिया से दिल मेरा अब भर गया, पास अपने मुझे तू ,,,,,,,,,,, बुला सांवरे। कीर्ति#व्यथा#