अाज तेरी वो बातें जिसे में अंशुना कर देती थी वो अाज भी मेरे जहन में हुबहु याद हैं जब तुम होठों पर धिमी मुस्कान सजा कर कहते थे रह लोगी ना कभी मेरे बिना और मैं बात को तेरा प्यार समझ कर नासमझ कर देती अाज वही सबसे ज्यादा चुभती हैं