कुछ जानना जो चाहो मेरे बारे में और... तो पता ठिकाना मत ढूढना...... सुनो कुछ पन्नों पर कैद है मेरे कुछ जज़्बात... मेरे हालात कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ कुछ खुशियों की कहानी कुछ आंखों का पानी.... कुछ मिलन की बातें कुछ रोएं हुई राते कुछ पन्ने खाली भी मिलेंगे.... जिसे छोड़ रखा है खाली... वो बातें पीहर वाली कहीं नीला सा अम्बर कहीं खाली समंदर.... हां ..... और भी बहुत कुछ..... हां मै वहीं मिलूंगी ढूढना मुझे कागज़ के पन्नों पर... हर बार मिलूंगी बार बार मिलूंगी... और पूरी मिलूंगी.... तो ना मिल पाऊं कही तो ढूंढ़ना मुझे वहीं.... कैद हूं कागज और पन्नों पर.... ©divya mai wahi milungi....