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अनुरोध करें या करें विरोध, दिल यादों में तेरी ढल

 अनुरोध करें या करें विरोध,
दिल यादों में तेरी ढल गया..!

न उदय हुआ सूरज प्रेम का,
द्वेष में यूँ जल गया..!

बीते पल बीते लम्हें,
बीत आज और कल गया..!

तेरा किसी और को तकना,
स्वास्थ्य को मेरे खल गया..!

धैर्य को अपनाया मैंने,
तुझ पर गुस्सा मेरा टल गया..!

न जीने की चाह न मर पाना,
जैसे गिरते पड़ते चल गया..!

©SHIVA KANT
  #anurodh