**एक नज़्म** कुछ पल होते हैं, होते हैं बहुत खास। चाहे प्रियतम पहला मिलन हो। चाहे मन की दहकती अगन हो।। चाहे इस देह की व्याकुलता हो। चाहे फिर मन से मन की लगन हो।। मानो एक पल में एक सदी रक़म हो। फिर भी लगता है जैसे ज़िंदगी कम हो।। लगता है गुज़रा हुआ सारा वक़्त लौट आयेगा। हो सकता है कि ये मेरा टूटा हुआ भरम हो।। चाहे चुपके से दिल में उतरना हो। चाहे तेरी आँखों में संवरना हो।। चाहे तेरे बोसों का मेरे सीने पर। इंद्रधनुष के रंगों सा उभरना हो।। नहीं है तुझसे कोई अब वास्ता हो। खींचता पैरों को तेरी सिम्त रास्ता हो।। ये सब लम्हें खुद में एक इतिहास हैं। कुछ तुम्हारे तो कुछ मेरे पास हैं।। तुम कहती थी ना ये पल, किसी के भी लिये खास होते हैं।। लो मैंने भी रख लिये सब पल समेट कर शब्दों में, सुनो,, मेरे लिये भी तुम्हारे साथ का हर पल बहुत खास है, हाँ हाँ बहुत खास है।। अरे इतना खास कि...... निःशब्द हूँ.... शायर अभिनेश सागर' Shayar Abhinesh Sagar