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जाने क्यूँ इंसान अपनी, कमियों को छिपाता है। सामने

जाने क्यूँ इंसान अपनी, कमियों को छिपाता है।
सामने आती है जब बात, फिर वो पछताता है।

अच्छा होता गर वो अपना, मन पाक साफ़ रखता।
मलाल न होता उसे भी, जब वो हंसकर बताता है।

बेशक़ वो अपनी गलतियों पे, चुपचाप रहता है।
जब बात होती है खूबी की, अक्सर इतराता है।

इंसानियत का उसूल है, किसी को धोखा ना देना।
सच्चाई कड़वी हो तो, हर इंसान सह जाता है।

जाने क्यूँ ये सोच बनाई, अपनी कमी छुपाने की।
कमियों को छुपाने से, क्या हमें सब मिल जाता है। विषय :- कमियों को छिपाता है।

जाने क्यूँ इंसान अपनी, कमियों को छिपाता है।
सामने आती है जब बात, फिर वो पछताता है।

अच्छा होता गर वो अपना, मन पाक साफ़ रखता।
मलाल न होता उसे भी, जब वो हंसकर बताता है।
जाने क्यूँ इंसान अपनी, कमियों को छिपाता है।
सामने आती है जब बात, फिर वो पछताता है।

अच्छा होता गर वो अपना, मन पाक साफ़ रखता।
मलाल न होता उसे भी, जब वो हंसकर बताता है।

बेशक़ वो अपनी गलतियों पे, चुपचाप रहता है।
जब बात होती है खूबी की, अक्सर इतराता है।

इंसानियत का उसूल है, किसी को धोखा ना देना।
सच्चाई कड़वी हो तो, हर इंसान सह जाता है।

जाने क्यूँ ये सोच बनाई, अपनी कमी छुपाने की।
कमियों को छुपाने से, क्या हमें सब मिल जाता है। विषय :- कमियों को छिपाता है।

जाने क्यूँ इंसान अपनी, कमियों को छिपाता है।
सामने आती है जब बात, फिर वो पछताता है।

अच्छा होता गर वो अपना, मन पाक साफ़ रखता।
मलाल न होता उसे भी, जब वो हंसकर बताता है।