चाँद सा रोशन चेहरा इक चाँद सा रोशन चेहरा अक्सर आती है मेरे ख्वाव में कभी जुल्फे बिखरा कर तो कभी आती है हिजाब में देख मुझे थोडी़ शर्माकर पलके झुकाती है ख्वाव में न जाने क्या लवों से वो गुनगुनाती है मेरे ख्वाव में जब से देखा हूँ उसकी चेहरे को मुझे तो नींद नहीं आती है ख्वाव में -एस के सिद्धार्थ