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सोचती हूँ... थोड़ी बेफ्रिक हो जाऊ, किसी ऐसी जगह जा

सोचती हूँ...

थोड़ी बेफ्रिक हो जाऊ,
किसी ऐसी जगह जाऊ, जो मुझे खुद से मिलाएं,

सामने पहाड़, धिमी-धिमी बारिश, हाथों मे किताब और साथ मे एक कप चाय।

तो क्या खूब जिन्दगी बन जाए।। #befikar...
सोचती हूँ...

थोड़ी बेफ्रिक हो जाऊ,
किसी ऐसी जगह जाऊ, जो मुझे खुद से मिलाएं,

सामने पहाड़, धिमी-धिमी बारिश, हाथों मे किताब और साथ मे एक कप चाय।

तो क्या खूब जिन्दगी बन जाए।। #befikar...