हाथों की लकीरों का क्या है वो तो बनती और बिगड़ती रहती हैं हम तुम्हें मुकद्दर में लिखवा के आये हैं अपना नसीब मांग के आये हैं किसी पराई चीज़ को कभी हमने अपना नहीं कहा पर तुम मेरे हो,हम अपनी ज़िद मनवा कर लाये हैं दूसरों का सोना भी मिट्टी है मेरे लिए हम ख़ुदा से अपने लिए कोहिनूर मांग के लाये हैं ©Richa Dhar #happypromiseday हाथों की लकीरें