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हाथों की लकीरों का क्या है वो तो बनती और बिगड़ती रह

हाथों की लकीरों का क्या है
वो तो बनती और बिगड़ती रहती हैं

हम तुम्हें मुकद्दर में लिखवा के आये हैं
अपना नसीब मांग के आये हैं

किसी पराई चीज़ को कभी हमने अपना नहीं कहा
पर तुम मेरे हो,हम अपनी ज़िद मनवा कर लाये हैं

दूसरों का सोना भी मिट्टी है मेरे लिए
हम ख़ुदा से अपने लिए कोहिनूर मांग के लाये हैं

©Richa Dhar #happypromiseday हाथों की लकीरें
हाथों की लकीरों का क्या है
वो तो बनती और बिगड़ती रहती हैं

हम तुम्हें मुकद्दर में लिखवा के आये हैं
अपना नसीब मांग के आये हैं

किसी पराई चीज़ को कभी हमने अपना नहीं कहा
पर तुम मेरे हो,हम अपनी ज़िद मनवा कर लाये हैं

दूसरों का सोना भी मिट्टी है मेरे लिए
हम ख़ुदा से अपने लिए कोहिनूर मांग के लाये हैं

©Richa Dhar #happypromiseday हाथों की लकीरें
richadhar9640

Richa Dhar

New Creator

#happypromiseday हाथों की लकीरें #कविता