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मना की अब हम साथ नही ,,,मगर दिल से एक बात काहू ,,,

मना की अब हम साथ नही ,,,मगर दिल से एक बात काहू ,,,,कोई बात नही , । 

लेकिन आज  हर रात को सोने से पहले,,,तेरी हर यादो के समुंदर मे एक लम्बी सी गोता मरने चला जता हू ।,,,,

और ऊन पुराने लम्हो मे से किसी एक पल के मोती को निकाल लाता हू ।,,,,,,

फिर उससे आंखे बन्द करके तब तक निहारता हू ।जब तक नीद नही आ जती ।,,,

और अगली सुबह से फिर यही इन्तजार करता हू ।की कब ये दिन ढले कब रात हो ।,,,,,,

कब फिर तुझे आवज दू और कब तुझसे बात हो।,,,,

मना की अब वो रात नही ।मगर दिल से ,,,,एक बात काहू कोई बात नही ।,,,


लोग कोश्ते है ।अपनी मोहब्बत को ।,,,,,की हमे उसने तबाह कर दिया ।


मगर मै तो तेरा शुक्र गुजर हू ।,,,,,की जितना बनता था तुने ।,,,अपना फर्ज आदा कर दिया ।,,


और वैसे भी रिस्तो की ऊमर नही देखी जाती है ।,,, देखी जाती है ।
तो सिर्फ एक बात की हम ऊन रिस्तो मे कितना जिये ।,,,


मना की अब मेरे हाथ मे तेरे हाथ नही ।,,,
मगर दिल से एक बात काहू ।,,,,
कोई बात नही ।,,

सायद मेरी आवज अब तुझ तक पहुचती नही ।,,,सायद तेरी निगाहे ।,,,,
भी मुझको खोजती नही ।,,,

सायद ये कहनी अंजान के परवान की है ।,,,,
क्यो की सयाद तू भुल कर आगे बड चुकी है ।,,

मगर बे फिकर होके जा ।,,
क्यो की मामला तेरे ये शुकून का है ।,,,,

मेरे जिस्म की परवाह ना कर मेरा रिस्ता तो तुझसे रूह का है ।,,,

माना की मेरे लिये तेरे वो जज्वात नही ।,,,,
मगर दिल से कह रहा हू ।,,,
मेरी जान कोई बात नही ।,

लेकिन आज भी मेरे दिल मे तेरे लिये एक शेर है ,,
हमेशा रहेगा ।

ये सब अपनी जगह है ,,,,,,जो  सिकबे है ,,,        गीले है।,,
अपनी जगह है ।

आना है तो लौट आ ,,,,,रास्ते अब भी खुले है ।,,,😭
मना की अब हम साथ नही ,,,मगर दिल से एक बात काहू ,,,,कोई बात नही , । 

लेकिन आज  हर रात को सोने से पहले,,,तेरी हर यादो के समुंदर मे एक लम्बी सी गोता मरने चला जता हू ।,,,,

और ऊन पुराने लम्हो मे से किसी एक पल के मोती को निकाल लाता हू ।,,,,,,

फिर उससे आंखे बन्द करके तब तक निहारता हू ।जब तक नीद नही आ जती ।,,,

और अगली सुबह से फिर यही इन्तजार करता हू ।की कब ये दिन ढले कब रात हो ।,,,,,,

कब फिर तुझे आवज दू और कब तुझसे बात हो।,,,,

मना की अब वो रात नही ।मगर दिल से ,,,,एक बात काहू कोई बात नही ।,,,


लोग कोश्ते है ।अपनी मोहब्बत को ।,,,,,की हमे उसने तबाह कर दिया ।


मगर मै तो तेरा शुक्र गुजर हू ।,,,,,की जितना बनता था तुने ।,,,अपना फर्ज आदा कर दिया ।,,


और वैसे भी रिस्तो की ऊमर नही देखी जाती है ।,,, देखी जाती है ।
तो सिर्फ एक बात की हम ऊन रिस्तो मे कितना जिये ।,,,


मना की अब मेरे हाथ मे तेरे हाथ नही ।,,,
मगर दिल से एक बात काहू ।,,,,
कोई बात नही ।,,

सायद मेरी आवज अब तुझ तक पहुचती नही ।,,,सायद तेरी निगाहे ।,,,,
भी मुझको खोजती नही ।,,,

सायद ये कहनी अंजान के परवान की है ।,,,,
क्यो की सयाद तू भुल कर आगे बड चुकी है ।,,

मगर बे फिकर होके जा ।,,
क्यो की मामला तेरे ये शुकून का है ।,,,,

मेरे जिस्म की परवाह ना कर मेरा रिस्ता तो तुझसे रूह का है ।,,,

माना की मेरे लिये तेरे वो जज्वात नही ।,,,,
मगर दिल से कह रहा हू ।,,,
मेरी जान कोई बात नही ।,

लेकिन आज भी मेरे दिल मे तेरे लिये एक शेर है ,,
हमेशा रहेगा ।

ये सब अपनी जगह है ,,,,,,जो  सिकबे है ,,,        गीले है।,,
अपनी जगह है ।

आना है तो लौट आ ,,,,,रास्ते अब भी खुले है ।,,,😭