जिन्दगी के पेंच कुछ उलझे से दिखते हैं इसे सुलझाओ गे क्या। हाँ कुछ तो कमी है मेरी जिन्दगी मे तुम भर जाओगे क्या कहते हो जान दे दूँ इक इशारे पर कभी माँग लूँ इक हसी दे पाओगे क्या। जानता हूँ गलत मे भी हूँ कुछ कहूँ तो सही कर पाओगे क्या। चलो जाने दो छोडो कुछ नही कहना तुम्हे जिन्दा हूँ खुश तो होना वरना तो लोग मरने का इन्तजार कर रहे है क्या करू मर जाऊ क्या। #mydairy ✒ #जिन्दगी_के_पेंच #कहते_हो_जान_दे_दूँ #एक_रचना_मेरी