मिलकर भी हम,मिल न सके खिलने थे जो फूल,खिल न सके बहे तो थे दरिया के संग ही हम किनारे थे पर,एक हो न सके उड़े तो थे हवा के साथ ही साथ ऊँचाई को देख,उड़ान भर न सके चले तो थे कभी,एक राह की ओर रास्ते कैसे बदले, समझ न सके कहना तो था,दोनों को बहुत कुछ चाहकर भी पर,कुछ कह न सके गुज़र तो रहे दिन-रात पहले से ही हम कैसे गुज़ार रहे,बता न सके समय तो वह,बहुत पीछे छूट ही गया हम हैं वहीं,'निर्झरा' यह छिपा न सके.! M'निर्झरा'🌹 मिल न सके अब मिल भी न सकेंगे? #मिलनसके #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi