जितना तुमने जाना है... बीतता बीतता रह गया एक जमाना है। जितना तुमने माना है... छूटता छूटता छूट गया एक ठिकाना है। जितना तुमसे मिलूंगा... टूटता टूटता टूटकर जितना बच जाना है। रचनाकार: हर्ष रंजन रचना: जितना... कवर : प्रियंका रंजन