पल्लव की डायरी सुख दुख मन में उपजत है सोच सोच सब संचय की भोग बडे मतवाले है बरसों बरसों की सोचत है 2 पानी पानी दुनिया है आँखन में पानी चुभता है रीत प्रीत में भी लालच घर घर हया का पानी मरता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #KabirDohe घर घर हया का पानी मरता है