ये खामोशी आखिर कब तक, शिकायतें ही सही। पर लब्ज़ तो खोलो, कभी देखी नहीं ऐसी बेरुखी अब तक। ये खामोशी आखिर कब तक। ©Alpita MishraSiwan Bihar #Kabtak