पल्लव की डायरी इन हाथों में हुनर थमा दो गुजारा जीवन का करने दो सूख ना जाये संवेदना की बगिया भरण पोषण परिवारों को करने दो सियासत के दाँव पेंच में जनता को ना तौलो खजाने जनता के लिये खोलो सेवा कर्म है राजनीतिक पार्टियों का इन हाथों को मजबूर ना होने दो अगर जिस दिन उठ गये ये हाथ इंकलाब के लिए बजूद ना अपना पाओगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Wish इन हाथों में हुनर थमा दो